PM Vishwakarma Yojana Payment Release: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों के लिए एक खुशखबरी आई है। इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत शिल्पकारों और कारीगरों के बैंक खातों में राशि भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चलिए इस योजना की विस्तृत जानकारी पर एक नज़र डालते हैं।
PM Vishwakarma Yojana Payment Release
पीएम विश्वकर्मा योजना का प्रमुख लक्ष्य देश के पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं:
- आर्थिक सहयोग: हर लाभार्थी को 15,000 रुपये तक की धनराशि प्रदान की जा रही है, ताकि वे अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद कर सकें।
- प्रशिक्षण: सरकार की ओर से 5 से 15 दिनों तक का मुफ्त प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे लाभार्थी अपने कौशल को निखार सकें।
- दैनिक भत्ता: प्रशिक्षण के समय लाभार्थियों को प्रतिदिन 500 रुपये का भत्ता प्रदान किया जा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक सहायता हो सके।
- रियायती ब्याज दर पर ऋण: लाभार्थी अपने व्यवसाय की शुरुआत के लिए कम ब्याज दर पर ऋण ले सकते हैं, जिससे उन्हें वित्तीय मदद मिलेगी।
भुगतान की प्रक्रिया
इस समय, प्रशिक्षण समाप्त करने वाले लाभार्थियों को उनके प्रशिक्षण के दिनों के आधार पर 2,500 से 7,500 रुपये तक की धनराशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है। 15,000 रुपये की टूलकिट राशि की वितरण तिथि फिलहाल घोषित नहीं की गई है।
लाभार्थी अपनी भुगतान स्थिति की जांच निम्नलिखित उपायों से कर सकते हैं
- पीएम विश्वकर्मा योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर लॉग इन करें।
- होम पेज पर “Payment Status Check” विकल्प पर क्लिक करें।
- अपनी खाता संख्या और कैप्चा कोड भरें।
- पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा गया OTP डालें।
- सबमिट बटन पर क्लिक करें और अपनी भुगतान स्थिति की जानकारी प्राप्त करें।
विश्वकर्मा योजना का महत्त्व
पीएम विश्वकर्मा योजना भारत की पारंपरिक कला और शिल्प को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है, बल्कि उन्हें अपने कौशल को सुधारने और आधुनिक बाजार की आवश्यकताओं के अनुसार ढालने का भी अवसर प्रदान करती है।
इस योजना के जरिए, सरकार का उद्देश्य है कि देश के पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार आत्मनिर्भर बनें और अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित कर सकें। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने में भी योगदान मिलेगा।